
मुंबई अरब सागर में प्रस्तावित छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक मामले में कांग्रेस और एनसीपी ने एक बार फिर सरकार को घेरा है। कागज पेश करते हुए एक हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया। साथ ही चेतावनी दी कि अगर सरकार ने स्पष्टीकरण नहीं देती तो पहले वे मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) में शिकायत करेंगे और वहां भी कुछ नहीं हुआ तो अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। सोमवार को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचिव और प्रवक्ता सचिन सावंत और राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने संवाददाता सम्मेलन में कई सारे दावे किए। इन्होंने आरोप लगाया कि लार्सन एंड टूब्रो (एल ऐंड टी) कंपनी के साथ मिलकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोटाले की साजिश रची। कांग्रेस के प्रवक्ता सावंत ने कहा कि परियोजना का अनुमानित लागत 2,692 करोड़ रुपये थी, लेकिन एल ऐंड टी ने 3,826 करोड़ रुपये का टेंडर भरा। इसके बाद कंपनी से बातचीत के जरिए टेंडर की रकम 42 फीसदी कम करने का दावा किया गया लेकिन असल में यह रकम अनुमानित खर्च से कहीं ज्यादा थी। सावंत ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एल ऐंड टी कंपनी का पक्ष रखा। इससे मिलीभगत की बात और साफ हो जाती है। सावंत ने आरोप लगाया कि अधिकारियों पर दबाव डाल कर मंजूरियां ली गईं। इस संबंध में स्मारक समिति के अध्यक्ष विनायक मेटे ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि कैग के एक अधिकारी ने इस मामले में गड़बड़ी की आशंका जताई थी, इसकी भी जांच होनी चाहिए। मलिक ने कहा कि मामले में निजी कंपनी की मदद से कानूनी राय ली गई और सरकार के विधी व न्याय विभाग की राय लेना जरूरी नहीं समझा। उन्होंने कहा कि दो अलग-अलग निजी कंपनियों की राय शब्दश एक जैसी कैसे हो सकती है? साफ होता है कि इसे किसी एक व्यक्ति ने ही इन्हें तैयार किया है। इसके अलावा स्मारक की लंबाई चौड़ाई कम कर सिर्फ तलवार की ऊंचाई बढ़ा दी और ऐसा निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया।
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