मुंबई महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिरोध अब उस मुकाम पर आ गया है, जब फैसला सिर्फ एक कदम दूर है। सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली महायुति के पास फैसले के अब सिर्फ तीन विकल्प बचे हैं। बीजेपी या तो शिवसेना की मांग के आगे झुके, या फिर शिवसेना बीजेपी की जिद के आगे झुके। अगर दोनों झुकने को तैयार नहीं होते, तो तीसरा विकल्प अपनाना होगा, जो राज्य में राष्ट्रपति शासन का होगा। महायुति के पास फैसला लेने के लिए अब सिर्फ एक दिन बचा है। इसलिए गुरुवार को राजनीतिक घटनाक्रम में तेजी से बदलाव आने की उम्मीद जताई जा रही है। आज राज्यपाल से मिलेंगे बीजेपी नेताबीजेपी नेता गुरुवार को राज्यपाल से मिलने जा रहे हैं। खास बात यह है कि राज्यपाल से मिलने जाने वाले बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बीजेपी विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस नहीं, बल्कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील करने वाले हैं। हालांकि बीजेपी ने अब तक यह साफ नहीं किया है कि सबसे बड़ा दल होने के नाते वह राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश करेगी या नहीं। मुख्यमंत्री फडणवीस के सरकारी आवास वर्षा पर बुधवार को हुई बीजेपी कोर कमिटी की बैठक के बाद राज्य के वित्त मंत्री और बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा, ‘चंद्रकांत पाटील के नेतृत्व में बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस द्वारा मंजूर एक संदेश के साथ कोश्यिारी से मुलाकात करेगा।’ उद्धव ने बुलाई बैठक शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को सुबह 11:30 बजे शिवसेना भवन में पार्टी के सभी नवनिर्वाचित विधायकों और वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई है। कहा जा रहा है कि उद्धव कोई भी फैसला लेने से पहले एक बार विधायकों से उनकी राय पूछना चाहते हैं। मुख्य रूप से उद्धव जानना चाहते हैं कि एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाने के मुद्दे पर विधायक क्या सोचते हैं और इसका जमीनी स्तर पर क्या असर पड़ेगा। कशमकश में है दिल्लीराजनीतिक घटनाक्रम को लेकर दिल्ली में सोच-विचार जारी है। बुधवार को अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है। पशोपेश यह है कि अगर शिवसेना की जिद मानी जाए, तो चुनाव प्रचार के दौरान मोदी-शाह की तरफ से फडणवीस को ही मुख्यमंत्री बनाने के वादे का क्या होगा/ और अगर न मानी जाए, तो शिवसेना के एनडीए से छिटकने का बुरा असर अन्य सहयोगियों पर भी पड़ने का खतरा है। इस स्थिति में बीजेपी राष्ट्रपति शासन का विकल्प अपना सकती है, क्योंकि सरकार बनाने का दावा कर बहुमत के अभाव में सरकार गिरने का खतरा वह मोल लेना नहीं चाहती।
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