मुंबईहर शर्ट में बटन होते ही हैं, पर किसी शर्ट के चार बटन किसी मर्डर की गुत्थी सुलझाने में सबसे मददगार बनेंगे, खुद इसकी कल्पना पुलिस ने कभी नहीं की थी। नालासोपारा में एक कत्ल के केस की कहानी इन्हीं चार बटनों से जुड़ी हुई है। करीब तीन महीने पहले की बात है। 21 जून को नालासोपारा के तुलिंज पुलिस स्टेशन में शाम को रोज की तरह चहल-पहल थी, कि तभी एक वायरलेस मैसेज आता है। इसमें श्रीराम नगर में एक ओवरब्रिज के पास एक नाले में नायलोन के बैग में एक लाश के पड़े होने की सूचना दी जाती है। इंस्पेक्टर बलवंत राव, एपीआई आनंद कोकरे और पुलिस नाइक किरण म्हात्रे की टीम घटनास्थल पर पहुंचती है, लाश का पंचनामा करती है और फिर मृतक के शरीर से ऊपरी कपड़े उतारकर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज देती है। जो कपड़े उतारे जाते हैं, उसमें शर्ट के कॉलर में S.V.MEN'S WEAR, MUMBAI-6 लिखा दिखता है। चूंकि कॉलर में पिन कोड भी लिखा हुआ था, इसलिए जांच टीम को संबंधित टेलर की कमाठीपुरा वाली दुकान को ढूंढने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। टेलर को शर्ट के आगे व पीछे की फोटो दिखाई गईं और पूछा गया कि क्या आप बता सकते हो कि यह किसने सिलवाई? उसने गौर से शर्ट को देखा, तो कॉलर के आगे साइड के नीचे के तीन बटन अलग से दिखे। इन बटनों के बीच का एक बटन टूटा हुआ भी था। इन सभी बटनों को देखते ही उसके मुंह से अपने आप यह नाम निकल पड़ा—कृष्णा। उसने बताया कि वह इसका पूरा नाम नहीं जानता, पर इतना जरूर जानता है कि यह शख्स शर्ट के तमाम बटनों के बीच कॉलर के नीचे वाले तीन-चार बटन हमेशा अलग कलर के लगवाता है। उसने यह भी बताया कि कृष्णा मुंबई सेंट्रल में किसी मुस्लिम होटल मालिक के यहां काम करता है। जांच टीम कुछ मिनट बाद वहां पहुंची और होटल मालिक को कृष्णा की लाश की फोटो दिखा दी। होटल मालिक ने उसे पहचान लिया और बताया कि हां, यह मेरे यहां काम करता था, पर चार दिन से होटल आया नहीं। उसके साथ चार दिन से भाईंदर में रहने वाला एक अन्य होटल कर्मचारी भी नहीं आ रहा। पुलिस का शक फिर इस दूसरे कर्मचारी पर चला गया। भाईंदर वाला दोस्त होटल मालिक के पास कृष्णा का पता नहीं था, लेकिन भाईंदर वाले इस कर्मचारी का था। जांच टीम फिर भाईंदर पहुंच गई और इस कर्मचारी से चार दिन से होटल न जाने की वजह पूछी। उसने बहुत सहज जवाब दिया कि बीमार हूं, इसलिए ड़्यूटी पर नहीं जा रहा। तब उससे कृष्णा के बारे में सवाल पूछे गए। जवाब में उसने बताया कि वह नालासोपारा में किसी ज्योति के साथ रहता है, लेकिन उसे उसका पूरा पता नहीं मालूम है। पर हां, इस कर्मचारी के पास कृष्णा का मोबाइल नंबर जरूर था। जांच टीम ने जब इस नंबर का सीडीआर निकाला, तो उसमें कई नंबर महाराष्ट्र के बाहर के मिले, लेकिन दो-तीन नंबर मुंबई और नालासोपारा के भी थे। नालासोपारा का नंबर एक महिला का था, जो तुलिंज इलाके की प्रगति नगर बिल्डिंग में रहती है। जब इस महिला को पूछताछ के लिए बुलाया गया, तो उसने साफ कहा कि वह किसी कृष्णा को नहीं जानती। उसने सबूत के तौर पर पुलिस को अपना मोबाइल सेट ही दे दिया कि आप लोग खुद चेक कर लो कि क्या उसमें कृष्णा को कभी किया कोई कॉल दिख रहा है? पर जब पुलिस नाइक किरण म्हात्रे ने इस महिला के सामने सीडीआर का डिटेल रख दिया, जिसमें उसका कुछ दिन पहले का नंबर दिख रहा था, तो महिला को एकाएक याद आया कि कुछ दिन पहले ज्योति ने उससे किसी अरजेंट कॉल करने के बहाने उसका मोबाइल लिया था। इस महिला के अनुसार, संभव है, ज्योति ने उसके मोबाइल से कॉल करने के बाद वह नंबर डिलीट कर दिया हो। दीवार में पेंट का सस्पेंस चूंकि होटल के भाईंदर वाले कर्मचारी के बाद अब इस प्रगति नगर वाली महिला के मुंह से भी ज्योति नाम निकला, तो जांच टीम के सामने यह उत्सुकता थी कि यह ज्योति रहती कहां है? प्रगति नगर की महिला ने जवाब दिया--इसी विंग के ऊपरी माले पर। जांच टीम जब ऊपर फ्लैट में पहुंची, तो वह बंद था। फौरन फ्लैट का दरवाजा तोड़ा गया। अंदर जाने पर घर एकदम साफ मिला। लेकिन कुछ दीवारों को देखकर टीम को लगा कि इसमें चंद जगह पेंट चंद दिन पहले करवाया गया है। चूंकि पेंट पूरी दीवार में नहीं करवाया गया, इसलिए शक और गहरा गया। यह शक तब यकीन में बदल गया, जब घर के बाथरूम में खून के कुछ धब्बे मिले । जांच टीम ने तब प्रगति नगर और आजू-बाजू की बिल्डिंगों के कुछ दिन पुराने सीसीटीवी फुटेज देखे। इसमें एक महिला और दो पुरुष एक बैग को ले जाते दिख रहे हैं। बाद में दोनों पुरुषों ने एक बाइक पर बैग रखा और वहां से निकल लिए। प्रगति नगर की महिला ने सीसीटीवी में आई महिला की शिनाख्त ज्योति के रूप में कर दी। लेकिन जांच टीम के सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि ज्योति इस वक्त है कहां? घर में पड़ा छापाप्रगति नगर वाली महिला के पास संयोग से ज्योति का नंबर था। उस नंबर के सीडीआर में किसी मुख्तार का नंबर मिला। बाद में उसके पुराने मोबाइल लोकेशन व अन्य टैक्निकल ऐविडेंस से पता चला कि वह नालासोपारा में गोराईपाडा में रहता है। गोराईपाडा में फिर एक घर में रेड डाली गई, जहां मुख्तार तो नहीं मिला, पर उसका दोस्त सूरज कुमार झा मिल गया। झा की शक्ल जांच टीम को प्रगति नगर के बैग ले जा रहे सीसीटीवी फुटेज में आए उसके चेहरे से मिलती जुलती दिखी। फौरन उससे सख्त पूछताछ हुई और फौरन ही उसने अपना जुर्म भी कबूल लिया। कहा, कि हां, मैंने कृष्णा के कत्ल में मुख्तार व ज्योति की मदद की थी, लेकिन लाश नाले में फेंकने के बाद मुख्तार ज्योति को लेकर कहां गया, उसे खुद पता नहीं। मुख्तार की तलाश में पुलिस ने फिर उसके मोबाइल के सीडीआर में आए उसके तमाम दोस्तों को बुलाया और सबसे कहा कि जब कभी भी मुख्तार का फोन उनमें से किसी के पास भी आए, तो वे लोग पुलिस को इन्फॉर्म करें। वारदात के करीब एक महीने बाद एक दिन मुख्तार ने अपने ऐसे ही दोस्त को फोन किया कि इस बार वह मोबाइल की ईएमआई भर नहीं पाया है, इसलिए वह जमा कर दे। दोस्त ने तत्काल पुलिस को सूचित कर दिया। जिस नंबर से दोस्त को कॉल आया था, उसका लोकेशन गाजियाबाद का निकला। जांच टीम वहां पहुंची और फिर मुख्तार, ज्योति को गिरफ्तार कर नालासोपारा ले आई। हत्या का मोटिव और इनामी सस्पेंसअब सवाल यह था कि इन सबने कृष्णा का कत्ल किया क्यों था? सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद जो कहानी सामने आई, उसके मुताबिक, ज्योति यूपी के महाराजगंज के एक पुलिस वाले की बहन है। उसका वहां एक लड़के के साथ अफेयर था। जनवरी, 2018 में वह उस लड़के के साथ भागकर लखनऊ आ गई। लेकिन लखनऊ में लड़के को डर लगा कि ज्योति का भाई उसे छोड़ेगा नहीं। इसीलिए डर के मारे वह वापस महाराजगंज चला गया। ज्योति इस पर फूट-फूट कर रोने लगी। लखनऊ में उसके पास से गुजर रहे कृष्णा साहनी को जब उसका रोना देखा नहीं गया, तो उससे इसका कारण पूछा। बाद में दोनों का वहीं से एक दूसरे से इश्क हो गया। वह उसे मुंबई ले आया। दोनों नालासोपारा की ओसवाल नगरी में रहने लगे। एक दिन कृष्णा को ज्योति से ही पता चला कि ज्योति पर यूपी में 30 हजार रुपये का इनाम है। उसे लालच आ गया और उसने यूपी फोन कर दिया कि ज्योति मेरे पास नालासोपारा में है। रुपये लाओ और ज्योति को ले जाओ। बाद में नशे में उसने यह बात ज्योति को बता भी दी। ज्योति ने तब कृष्णा को हड़काया कि तुमने यह क्या कर दिया, तुमने तो मुझे धोखा दे दिया। कृष्णा को भी अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने ओसवाल नगरी वाला घर फौरन छोड़ा, ताकि यूपी वाले लोग उसे व ज्योति को न ढूंढ पाएं। वहां से दोनों नालासोपारा में संतोष भुवन में शिफ्ट हो गए। संतोष भुवन में मुख्तार के मामा का घर है। मुख्तार का इस बहाने वहां आना-जाना था। उसी बहाने उसकी ज्योति से दोस्ती हुई, जो बाद में प्यार में बदल गई। ज्योति इस दौरान कृष्णा की 30 हजार रुपये के लिए उसकी टिप देने वाली कहानी भी नहीं भूली। इसीलिए मई महीने में जब कृष्णा कैटरिंग के काम से एक महीने के लिए पुणे गया, तो ज्योति मुख्तार की सलाह पर उसके साथ संतोष भुवन से भाग ली और फिर प्रगति नगर में शिफ्ट हो गई। उसी दौरान उसने प्रगति नगर वाली महिला से उसका मोबाइल लेकर कृष्णा को पुणे फोन कर दिया कि लगे कि वह अभी भी उसके साथ है। ..,और फिर महिला के कॉल रेकॉर्ड से तत्काल नंबर डिलीट भी कर दिया। ज्योति ने कृष्णा को तब यह नहीं बताया कि वह प्रगति नगर में शिफ्ट हो गई है। एक महीने बाद जब कृष्णा पुणे से लौटकर संतोष भुवन आया, तो ज्योति को न पाकर उसे आश्चर्य हुआ। जब बिल्डिंग के लोगों से पूछा, तो उन्होंने उसके प्रगति नगर में शिफ्ट होने की जानकारी दी। कृष्णा जून के तीसरे सप्ताह में वहां पहुंचा। उसने पहले ज्योति को गरियाया। फिर उससे सेक्स की डिमांड की। जब उसने मना किया, तो उसे बुरी तरह मारा, लेकिन बाद में शराब के नशे में उसी घर में सो गया। ज्योति ने फौरन मुख्तार को फोन किया। मुख्तार घर आया और उसने सोते हुए कृष्णा के चेहरे पर हथौड़ी से हमला कर दिया। इससे उसकी मौत हो गई। उसकी मौत के बाद मुख्तार डर गया। उसने तत्काल अपने दोस्त सूरज कुमार झा को मदद के लिए बुलाया। तीनों ने मिलकर फिर लाश को बाथरूम में शिफ्ट किया। इसके बाद बाहर के कमरे को अच्छे से साफ किया। दीवार पर खून वाली जगहों पर पेंट किया। फिर स्टेशन जाकर नायलोन का बैग लिया। उसमें लाश को रखा। फिर देर रात एक नाले में जाकर बैग को फेंक दिया। लेकिन एक शर्ट के चार अतरंगे बटनों ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा। उनकी लव, सेक्स और धोखे की पूरी कहानी अब पुलिस रेकॉर्ड में दर्ज हो चुकी है।
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