मुंबई मुंबई के लिए एक अच्छी खबर है। शहर में पिछले पांच सालों में शिशु मृत्यु दर के मामलों में 20 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। आंकड़ों के अनुसार, 2013 में मुंबई में 4,626 शिशुओं की जन्म के फौरन बाद मृत्यु हुई थी, जो 2018 में घटकर 3,723 रह गई। हालांकि इस दौरान कुछ वॉर्ड में शिशु मृत्यु दर में अप्रत्याशित वृद्धि भी दर्ज हुई है। सूचना के अधिकार के तहत बीएमसी स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 5 सालों में 25,884 शिशुओं की मौत हुई है, हालांकि राहत की बात यह है कि 2013 की तुलना में आंकड़ों में कमी आई है। अस्पतालों में बढ़ीं डिलिवरी, तो कम हुईं मौतें बीएमसी स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। इसके तहत लोगों को जागरूक करने के साथ ही गर्भावस्था के दौरान विशेष देखभाल और जांच के लिए बीएमसी अस्पतालों और मैटरनिटी होम में आने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की कार्यकारी अधिकारी डॉ. पद्मजा केसकर ने कहा कि अस्पतालों में डिलिवरी के मामले बढ़ने लगे हैं, जिससे जन्म के बाद बच्चों को होने वाली घातक समस्याओं का पता चल जाता है। इसके अलावा ऐंटि नेटल केयर को बढ़ावा दिए जाने से भी सकारात्मक असर देखने को मिला है। बता दें कि मुंबई में इन्फैंट मॉर्टेलिटी रेट प्रति 1000 जन्म पर 25 है। इन वॉर्ड्स की स्थिति चिंताजनक ओवरऑल शिशु मृत्यु दर में कमी आई है, लेकिन कुछ वॉर्ड्स में मौत के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है। एल वॉर्ड (कुर्ला) में शिशु मृत्यु दर 95 से बढ़कर 102 हो गई है। इसी तरह आर/एन (बोरीवली) में यह आंकड़ा 12 से बढ़कर 105 हो गया है। इसके अलावा अगर सभी शिशु मृत्यु आंकड़ों पर नजर डालें, तो सबसे अधिक मौत शहर से हैं। हालांकि एक अधिकारी ने इसकी वजह यह बताई कि ज्यादातर बड़े अस्पताल शहर में हैं, जहां मुंबई के बाहर से भी मरीज आते हैं। नतीजतन बाहर से आने वालों का भी आंकड़ा इसमें जुड़ जाता है।
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