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Thursday, August 8, 2019

अब दाऊद की पूरी 'कुंडली' हो रही ऑनलाइन

मुंबईअंडरवर्ल्ड डॉन के गुर्गों तक पहुंचना पुलिस के लिए अब आसान होगा। दरअसल, महाराष्ट्र पुलिस का वह सिस्टम शुरू हो गया है, जिसके जरिए वॉन्टेड क्रिमिनल भारत के दूसरे शहरों या दुनिया के किसी भी शहर में होंगे, उनकी पूरी कुंडली जांच एजेंसियों को माउस दबाते ही ऑनलाइन मिल जाएगी। महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले सप्ताह ही ऑटोमेटेड मल्टीमॉडल बायोमेट्रिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम शुरू किया था, जिसे संक्षेप नाम दिया गया-- एम्बिस। मुंबई पुलिस का यह सिस्टम कुछ महीने में नैशनल क्राइम ब्यूरो और इंटरपोल से भी कनेक्ट हो जाएगा। इसके बाद विदेश में दाऊद, जैसे अंडरवर्ल्ड अपराधी या आतंकवादी या करोड़ों की ठगी करने वाले आरोपी छिपे हुए हैं, केंद्रीय जांच एजेंसियां उनकी पूरी डीटेल इंटरपोल से शेयर कर सकती हैं। सीएम फडणवीस का यह ड्रीम प्रॉजेक्ट महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का यह तीन साल पुराना ड्रीम प्रॉजेक्ट था, जिस पर अमल का जिम्मा सीआईडी और साइबर पुलिस के आईजी बृजेश सिंह को सौंपा गया। फिलहाल यह सिस्टम मुंबई के सभी 94 पुलिस स्टेशन में शुरू हो गया है, जिसका उद‌्घाटन मुंबई पुलिस कमिश्नर संजय बर्वे ने किया। लेकिन आने वाले कुछ पखवाड़ों में यह महाराष्ट्र के सभी 1200 पुलिस स्टेशन में भी शुरू हो जाएगा। पहले अपराधियों के पकड़ने पर उनके फिंगर प्रिंट्स लिए जाते थे। कुछ महीने पहले से मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के रेटिना रेकॉर्ड भी रखने शुरू कर दिए थे। लेकिन ऑटोमेटेड मल्टीमॉडल बायोमेट्रिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम में अब गिरफ्तार आरोपी के हाथ के पंजे, उंगलियों के निशान, आंख की पुतली और चेहरा--सभी 'एम्बिस' में डाल दिया जाएगा। जांच एजेंसियों के कंप्यूटर में हर डीटेल इसके बाद अपराधी भले ही जमानत पर छूट जाए और बाद में नाम बदलकर दूसरा अपराध करने लगे, लेकिन जब दूसरी बार वह पकड़ा जाएगा, तो उसकी पूरी कुंडली जांच एजेंसियों के कंप्यूटर पर आ जाएगी। यदि उसका चेहरा सीसीटीवी कैमरे में आ गया, तो पुलिस उस चेहरे के फोटो को सिस्टम में डालकर उसके पुराने सभी अड्रेस व ठिकानों की जानकारी निकाल लेगी। फिलहाल महाराष्ट्र पुलिस ने साढ़े छह लाख अपराधियों का डेटा ऑटोमेटेड मल्टीमॉडल बायोमेट्रिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम में फीड किया है। यह संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। पूर देश में भी होगा लागू! महाराष्ट्र पुलिस के इस एम्बिस प्रोजेक्ट पर धीरे-धीरे पूरे देश में अमल होने वाला है। पूरे देश के अपराधियों को एम्बिस डेटा फिर नैशनल क्राइम ब्यूरो से जुड़े जाएगा। इसके बाद किसी भी जांच एजेंसी को दूसरी एजेंसी से किसी अरोपी की डीटेल मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सबको ऑनलाइन जानकारी मिल जाएगी। जो विदेश में दाऊद, छोटा शकील जैसे अंडरवर्ल्ड अपराधी या आतंकवादी या करोड़ों की ठगी करने वाले आरोपी छिपे हुए हैं, केंद्रीय जांच एजेंसियां उनकी पूरी डीटेल इंटरपोल से शेयर कर सकती हैं। खुद महाराष्ट्र साइबर सेल के आईजी ब्रजेश सिंह ने मीडिया के बताया कि एम्बिस एक ऐसा सिस्टम है जिससे हम इंटरपोल और दूसरी एजेंसियों के लगातार संपर्क में रह सकते हैं। विदेशों में एम्बिस बहुत पहले से है, पर महाराष्ट्र पुलिस का दावा है कि दुनिया के सभी सिस्टम से महाराष्ट्र में शुरू हुआ सिस्टम बहुत अडवांस है। इसीलिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को महाराष्ट्र पुलिस जैसा सिस्टम अपने-अपने यहां शुरू करने का आदेश दिया है।


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