सुरेन्द्र नेगी, मुंबई मुंबई स्थित के प्यास बुझाने के सारे दावों पर पानी फिर गया है। पानी के लिए वसई-विरार की दीवारों पर लिखे गए स्लोगन चुनावी वादों जैसे ही कोरे साबित हो रहे हैं। फिलहाल, लगभग तीस लाख जनसंख्या वाली वसई-विरार की आधी आबादी टैंकरों का दूषित पानी पीने को मजबूर है, जबकि मनपा के बजट से जलापूर्ति के नाम पर पांच साल में 821 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। बता दें कि मनपा के पास खुद के उसगांव, पेल्हार व पापड खिंड बांध हैं। पालघर में ही सूर्या बांध है। इस बांध से मीरा-भाईंदर को जलापूर्ति की जा रही है। पर, विभागों की उदासीनता की वजह से वसईकरों को इस बांध से जरूरत के मुताबिक पानी नहीं मिल रहा है। लोगों का कहना है कि मनपा के पास 260 एमएलडी पानी होने के बाद भी उन्हें टैंकरों का दूषित पानी पीना पड़ता है। वहीं, मनपा का कहना है कि वसई-विरार क्षेत्र में पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाने के कारण सुचारू रूप से जलापूर्ति नहीं हो पा रही है। उधर, बिजली विभाग को मनपा ने 5 साल में 102 करोड़ रुपये बिल भुगतान किया है। सवाल उठता है कि यदि पर्याप्त बिजली मनपा को नहीं मिल रही है, तो बिल का भुगतान क्यों किया गया? 8 लाख लोगों को मुश्किल से पानी मिलता है जानकारी के अनुसार, वसई-विरार मनपा को सूर्या बांध से 230 एमएलडी, उसगांव बांध 20 एमएलडी व पेल्हार बांध से 10 एमएलडी कुल मिलाकर 260 एमएलडी पानी मिलता है। वसई-विरार मनपा क्षेत्र में लगभग 30 लाख आबादी है। इसमें 8 लाख लोगों को ही मुश्किल से पानी मिलता है। बाकी को टैंकर या मिनरल वॉटर से प्यास बुझानी पड़ती है। वसई-विरार में रोजाना लगभग 3 हजार टैंकर लोगों तक पानी पहुंचाते हैं। जलापूर्ति पर 821 करोड़ रुपये खर्च मनपा ने पिछले 5 साल में शहर की जनता के लिए जलापूर्ति पर 821 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह जानकारी शिवसेना नेता व पूर्व नगरसेवक राज कुमार चोरघे ने मनपा के 2019-20 के बजट से निकाली है। चोरघे ने कहा कि बजट में मनपा ने 821 करोड़ रुपये जलापूर्ति पर खर्च करने का दावा किया है। लोगों ने आरोप लगाया कि अगर वसई-विरार में 260 एमएलडी पानी आता है, तो आधी से कम जनता को ही पानी क्यों मिलता है? वहीं, लोगों का यह भी कहना है कि पानी पर राजनीति होती है। गरीबों को इसलिए पानी नहीं दिया जा रहा है, क्योंकि सत्तापक्ष के नगरसेवकों व बिल्डरों की है। इन जगहों पर पानी की किल्लत मनपा क्षेत्र के विरार (पूर्व) चंदनसार, कारगिल नगर, भाट पाडा, सहकार नगर, फूलपाडा, गांधी चौक, नालासोपारा (पूर्व) के मोरेगांव, नागिनदास पाडा, ओम नगर, प्रगति नगर, रहमत नगर, विजय नगर, दत्त नगर, पांच अम्बा, गाला नगर, शिर्डी नगर, संतोष भवन, गौराईपाडा, वलईपाडा, बिलाल पाडा, पांडे नगर, श्रीराम नगर, धानिवबाग, वाकनपाडा, नवजीवन, गांगडीपाडा, शांति नगर, रिचर्ड कंपाउंड, वसई फाटा, वसई (पूर्व) वालीव, गोलानी, खैरपाडा, फणसपाडा, सातीवली, धुमाल नगर, भोयदापाडा, नायगांव (पूर्व) जुचंद्र, वाकीपाडा, चन्द्रपाडा, रश्मि कॉम्प्लेक्स, म्हात्रेवाडी, नालासोपारा (पश्चिम) के हनुमान नगर, टाकीपाडा आदि क्षेत्रों में आज भी जनता टैंकरों व मिलरल वॉटर पर दिन काट रही है।
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