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Thursday, August 22, 2019

यूपी: नए मंत्रियों की कहानी भी है निराली, कोई दारोगा तो कोई रह चुका ऐडमैन

शादाब रिजवी, मेरठ उत्तर प्रदेश के योगी मंत्रिमंडल में शामिल किए गए वेस्ट यूपी के मंत्रियों के सियासी बुलंदी हासिल करने की कहानी भी दिलचस्प है। ये ऐसे नेता हैं जिन्होंने जमीन से सियासत शुरू कर ऊंचा मुकाम बनाया। कोई सभासद तो कोई गांव प्रधान या स्कूल प्रबंधक रहा मगर लंबे सफर के बाद आज ये लोग मंत्रिपद पर हैं। मुजफ्फरनगर के कपिल देव अग्रवाल विज्ञापन एजेंसी चलाते थे। तभी उन्हें राजनीति का शौक चढ़ा तो उन्होंने नगर पालिका के चेयरमैन का चुनाव लड़ा और जीते। केंद्रीय डॉक्टर संजीव बालियान के करीबी होने का फायदा मिला। पहले टिकट लेकर विधायक बने और अब मंत्री। इसी तरह फतेहपुर सीकरी से विधायक चौधरी उदयभान सिंह यूपी पुलिस में थे। पिता की नापसंदगी की वजह से उन्होंने यह नौकरी छोड़ी और सेना के 509 आर्मी बेस वर्कशॉप आगरा में सिलेक्ट हुए लेकिन पारिवारिक दबाव ने उसे भी छुड़वा दिया। इसके बाद वह इंटर कॉलेज में शिक्षक बने और जुझारूपन दिखाते हुए आज सूबे के वजीर बन गए। आगरा छावनी सुरक्षित सीट से डॉक्टर गिर्राज सिंह धर्मेश (डॉक्टर जीएस. धर्मेश) पेशे से डॉक्टर हैं। उन्होंने अपनी सियासी पारी नगर निगम में सभासद से शुरू की। दो बार सभासद रहे, फिर 2012 में एमएलए का चुनाव हारे और 2017 में शानदार जीत दर्ज हासिल की। मुरादाबाद के एमएलसी भूपेंद्र सिंह 1989 में इंटर कॉलेज के प्रबंधक थे। शिक्षा के क्षेत्र में काम करते हुए वह पहले विश्व हिंदू परिषद और फिर बीजेपी के सदस्य बने। पार्टी में जिला कार्यकारिणी सदस्य रहते हुए संगठन में जिले से लेकर प्रदेश तक तमाम पद संभाले और एमएलसी बनकर अब कैबिनेट मंत्री के पद तक जा पहुंचे। बुलंदशहर के सुरजावली के रहने वाले अनिल शर्मा ने छात्र रहते राजनीति में दिलचस्पी ली। दादा के कांग्रेस की सियासत में रहने की वजह से उनका झुकाव भी राजनीतिक क्षेत्र में भी रहा। पहली बार 1989 में अपने गांव सुरजावली गांव के प्रधान बने। गांव का विकास कराकर जिले में चर्चा में आए। उसके बाद बीएसपी से खुर्जा विधानसभा से दो बार विधायक रहे। 2015 में बीजेपी में गए और दो साल बाद शिकारपुर से एमएलए बन अब मंत्री बन गए। बिजनौर के रहने वाले एमएलसी अशोक कटारिया ने शुरुआत एबीवीपी के छात्र नेता के तौर पर की। संगठन में तमाम पदों पर रहे कटारिया हाईकमान की आंख का तारा बने रहे। पहले एमएलसी बनाए गए और जिले के पांचों विधायकों पर तरजीह देकर अब मंत्री बना दिया गया।


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