
प्रधान का यह बयान मॉस्को को साधने के लिए है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि भारत की अमेरिका के साथ बढ़ती करीबी के चलते वह असहज हुआ है। खासतौर पर रक्षा और ऊर्जा के मामलों में रूस और अमेरिका को एक साथ साधना भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक सफलता है।
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